विवेक दत्त के दो पुत्र श्याम और राधे थे। विवेक दत्त जी ज्यादा पढे लिखे नही थे लेकिन शिक्षा का महत्व बखूबी समझते थे। इस लिये विवेक दत्त जी ने अपने दोनों ही बेटों को अपनी जी जान लगाकर पढाई करवायी थी। दोनों ही बेटे आज घर से दूर शहर में नौकरी में थे। दोनों ही बेटे घर से दूर जरूर थे लेकिन अपने पिता और माता जी से मिलने वे समय समय पर गाँव जरूर आया करते थे उनके लगभग सभी त्यौहार घर में ही मनता था। शहर में मनाते भी तो किसके साथ कोई अपना था भी तो