गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 18 सुबह माँ घर में बने बाँके बिहारी जी के मन्दिर में पूजा करके पलटी तो सामने गूगल खड़ा था। उसने गूगल को कहा - ‘बेटा, एक काम कर। अरुणा की माँ को फ़ोन लगा। इस समय वह मन्दिर जाती है। उससे कहना कि मन्दिर से वापसी पर मुझसे मिलकर जाये। मैं भी उससे मन की बात कह देती हूँ... आगे बिहारी जी की इच्छा।’ गूगल ने फ़ोन लगाया तो अरुणा ने उठाया और कहा - ‘जय रक्तदाता गूगल जी।’ ‘जय रक्तदाता अरुणा जी। मेरी माँ की आंटी जी से