इक समंदर मेरे अंदर - 23

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इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (23) उसे छोड़ने से पहले वह भी तो हज़ार बार सोचेगी। सोचेगी ही नहीं, नौकरी छोड़ने के ऑफ्टर इफेक्ट्स भी देखेगी। एक औरत के लिये आर्थिक स्वतंत्रता बहुत मायने रखती है, यह वह अपनी पढ़ाई के दौरान देख चुकी थी। भले ही वह छोटी नौकरी थी, पर अपनी फीस और जेब खर्च तो कमा ही सकती थी। पिताजी को इतना सहारा तो वह दे ही सकती थी और दिया भी था। इसी लिये वे कामना की ओर से निश्चिंत थे। अंततः सोम को मुंबई में नौकरी करते करते पांच साल हो गये थे और