उलझन - 13

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उलझन डॉ. अमिता दुबे तेरह बहुत दिनों बाद दादी को घर, घर जैसा लग रहा था। ऐसा उनके हाव-भाव से पता चल रहा था। सबने मिलकर खाना खाया। अभी आता हूँ दीदी जाइयेगा मत’ कहकर चाचा बाहर चले गये। दस मिनट बाद लौटे तो उनके हाथ में पान की पुड़ियाँ थीं जिसमें सादा पान दादी के लिए, मम्मी व बुआ के लिए मीठा पान और चाची के लिए गरी इलाइची वाला पान। पापा और चाचा हमेशा से सबके पानों में से थोड़ा-थोड़ा टुकड़ा खाकर संतुष्ट हो गये। साढ़े दस बज रहे थे घर में ऐसी रौनक थी मानो अभी शाम