इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (22) वह न मायके जायेगी और न ससुराल जायेगी। जिसको यहां आना हो, आ जाये। उसके घर के पास ही प्राइवेट अस्पताल था। वहां उसने अपना नाम लिखवा दिया था। उन दिनों उसे मालाड स्टेशन से ट्रेन से जाना अंधेरी जाना पड़ता था और वहां से ऑफिस की बस मिलती थी। जैसे जैसे महीने चढ़ते जा रहे थे, कामना के शरीर में बदलाव भी आता जा रहा था। सोम के माता पिता का मन था कि कामना की डिलीवरी दिल्ली में करवाई जाये और सरकारी अस्पताल में करवाई जाये। उसी दौरान ससुर का दिल्ली