बिस्तर पर चुपचाप लेटी हानिया को पता ही नहीं चला के कब उसकी आंख लगी बाहर होती जोरदार बारिश और बादल की गर्जन से उसकी आंख खुली और सीधे रूम की साईड वाली खिड़की पर नजर पड़ी जहां से बारिश की फुहारें अंदर आ रही थी हानिया उठीं और खिड़की भेड़ कर वापस बेड पर लेट कर आंखें बंद कर ली आंखें बंद करते ही पुरानी बातें किसी फिल्म की तरह उसकी आंखों के नीचे घुमने लगी. ये बारिश होने पर तुम मोर की तरह इतनी खुश क्यो हो जाती हो हानि.. उसने उसे छत पर जाते हुए देखा तो