दामाद जी

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एक जमाने में दामाद की पूंछ परख और स्वागत का तरीका भी अलग ही ठंग का होता था।जब कभी।दामाद जी ससुराल जा धमकते अफरातरफी का माहौल बन जाता था।यदि पूर्व सूचना पर आगमन होता तो क्या कहने।एक दो आदमी स्टेशन आते एक सूटकेस थामता पहले से तय किये रिक्शे में दामाद को बीचो बीच सैट कर दिया।अगल बगल यमदूत बैठ जाते।कहीं कूद कर भाग ना जाये। ।यात्रा का हालचाल पूंछते, रास्ते में कोई परेशानी तो नहीं हुई,वर्थ तो कन्फर्म थी ना,लोवर थी या अपर थी,टी सी आया था एकाद बार,आदि आदि सैकडों सबालात का जवाव देते दामाद जी का रिक्शा