कुछ कहा अनकहा कभी-कभी कुछ चीजें आपके बस में नहीं होती ,कोशिश करते हैं आप संवारने की ,मगर चीजें कुछ ज्यादा ही उलझ जाती है ,और आप हार मान लेते हैं ॥शायद मेनें भी हार मान ली थी॥ अलार्म बज बज कर खुद ही सो चुका था ,इस बार अलार्म का काम मां की आवाज ने किया-" पिया उठ बेटा देख समय क्या हो गया है ,दामाद जी के आने का वक्त हो रहा है ,तैयार भी तो होना है चल जल्दी कर"॥ यह अलार्म कुछ अलग था आंखों की नींद के साथ थोड़ा सा जो सुकून इन 2 दिनों में दिल को