अनजान रीश्ता - 42

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पारुल और सेम सबको बाय कहते हुए घर से निकलते हैं । पारुल कार में बैठते हुए ऐसे ही सोच में डूबी हुई थी । सेम के चहेरे से मुस्कुराहट जाने का नाम ही नहीं ले रही थी । उसके लिए तो मानो जैसे ये एक सपना ही है कि पारुल उसकी किस्मत में है वो भी एक हमसफ़र के तौर पर। वह समझ नहीं पा रहा था क्या करे उसकी खुशी का तो मानो कोई ठिकाना ही नहीं था। वह कार स्टार्ट करते हुए पारुल की ओर देखता है । तो पारुल किसी गहरी सोच मै थी । वह