दो जिस्म एक जाँ की अधूरी दास्ताँ..

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दो शक्श की अधूरी इश्क़ की दास्ताँ,जान कर नहीं अंजान ही सही,इश्क़ के सफ़र में गुल मिले सही,काटो में फूलो की तरह महक ही सही,चांदनी रातों में उजाले की धूप ही सही,गहराई में ढूंढने मोती की चमक ही सही,लब्जो से निकले अल्फ़ाज़ के कारनामे ही सही,दिल की अंगड़ाई पर सौन्दर्य का प्रतीक ही सही,बीन मांगे खुदा से मांगी इबादत ही सही,सच्चाई से या जूठ पर मिलते रिश्ते ही सही,दूरियों से मिले सफ़र के किनारे पर ही सही,नजदीकी में दिल से जुड़े ख्वाब ही सही,ख़यालो में बने स्वप्न को साकार ना ही सही,उसकी कहीं बातो पर अनकहे जज्बात ही सही,टूटकर भी