क्लीनचिट - 6

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अंक - छठ्ठा/६'शेखर, अदिती के देहलालित्य को शब्दों मे बयान करना शायद आसान होगा, लेकिन उस एहसास को जीने के लिए आलोक बनकर जनम लेना होगा। हमदोनो ने मुश्किल से ४ से ५ घंटे साथ में बिताए होंगे। उस समय दरमियान जो भी बातें हुई वो सामान्य ही थी। वो स्वभाव से बहुत बिंदास है, और उस दिन फिरकी लेकर मेरी बैंड बजाने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। बातों बातों में हमदोनों कब एकदूसरे मेें इतना घुलमिल गए, उसका पता ही नहीं चला। लेकिन जब अलग होने का समय आया तब वो बहुत धीरगंभीर हो गई थी। अंतिम