कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 6 एक निर्जन और ऊँची पहाड़ी पर दोनों आ कर बैठ गए। सामने एक खूबसूरत झरना था। आसमान पर हल्के-हल्के बादल छाए हुए थे। अंदर से बाहर तक सिहरा देने वाली ठंडी हवा चल रही थी। अमल और मोहिनी बहुत ही पास बैठे थे। इतने पास कि उनकी सांसों में जो इन क्षणों में एक उष्मा भरी हुई थी उसका एहसास दोनों कर सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं लगा है कि वे उस उष्मा से तृप्त हो रहे हों। लाख ऐसी उष्मा भरी निकटताएं हों, लाख ऐसे मनोहारी दृष्य हों लेकिन यदि मन में