सुनवाईकनिका ने घड़ी देखा रात के ग्यारह बज गये थे पर नितिन अभी तक नही आया था ,कनिका को चिन्ता होने लगी ।नितिन उसकी आँखों का तारा था क्षण भर भी उसे उदास देखना उन्हे गवारा न था।तभी द्वार की घंटी बजी ,कनिका दौड़ कर दरवाजा खेालने गई ।उसने सोच लिया था कि आज नितिन से कह देगी कि कल से वह उसके लिये दरवाजा खोलने के लिये इतनी रात तक नही जागेगी। अगर दस बजे के बाद घर में पांव रखा तो न तो खाना मिलेगा न मैं बात करेगी। ँद्वारा खोलते ही सामने खाकी वर्दी वाले को देख