कार्टून प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट प्रभाज्योति अपने हर इन्टरव्यू में अपनी माँ की सीख दोहराते हुए उन के प्रति अपना आभार प्रकट करती है बताती है वह जैसे ही हाथ में पैंसिल पकड़ने योग्य हुई थी माँ ने उस के सामने लाल, क्रीम, सलेटी रंगों के व खुरदुरे, जई, पारदर्शी बुनावट के काग़ज़ों के साथ तीन-बी पैंसिल, चार-बी पैंसिल, चारकोल पैंसिल, चौक पैंसिल, क्रेयॉन स्टिक, खड़िया स्टिक, काठकोयला ला बिछायी थीं और बोली थीं, “काग़ज़ पर चेहरे ऐसे लाओ जैसे वे तुम्हें नज़र आते हैं ऐसे नहीं जैसे लोग उन्हें पहचानते हैं नाक-माथा, आँख-कान, गला और होंठ तो सभी चेहरों के पास