दिलरस - 4 - अंतिम भाग

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दिलरस प्रियंवद (4) ‘क्या उससे सूजन ठीक हो जाती है?’ ‘वह तो बिलकुल हो जाती है।’ ‘लकड़ी की टाल वाले को जरूरत है... उसे बाद में सूजन आ जाती है।’ ‘वह तो आएगी ही। उसने एक तोता पाल रखा है। जैसे तोता हरी मिर्च पकड़ता है, उस तरह वह औरत को पकड़ता है। सूजन तो आएगी ही।’ लड़के ने कभी तोते को हरी मिर्च पकड़ते नहीं देखा था। वह चुप रहा। ‘खैर तुम मुतवल्ली से मिल लो। तेल जरूर ले लेना। एक शीशी टाल वाले के लिए भी।’ लड़का उठ गया। ‘तुम एक दरख्वास्त दे दो। मां की बीमारी का