रहमतो वाली बारिश

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माहीं के कालेज की छुट्टी होते ही हलकी बून्दा बांदी शुरू हो गई थीं.. ओ हो बारिश शुरू हो गई तेज होने के पहले घर पहूचना होगा इसी रास्ते से में जाती हु जल्दी पहुंच जाऊँगी...यही सोचते हुए माहीं थोड़ा तेजी से चलने लगी... तभी उस पीछे से कोई जानी पहचानी आवाज़ लगीं। अरे तुम भी इसी रास्ते से घर जाती हो! माहीं ने पलट कर देखा तो सिर्फ आवाज ही नहीं वो शख्स भी जाना पहचाना ही था... उसे देखते ही माहीं का दिल जोरो से धङकने लगा हाँ ये वही था... क्या हुआ? उसे चुप देख कर उसने