लहराता चाँद - 7

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लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 7 रात के 10 बज ही थे। अनन्या ने अवन्तिका को खाना खिलाकर सुला दिया और टेबल ऊपर रखी "बाबुल का आँगन" मासिक पत्रिका पलटने लगी। जिसमें संजय का एक आर्टिकल 'आरोग्य' छपा था। अनन्या उसे बहुत ध्यान से पढ़ने लगी। संजय क्लिनिक से लौटा नहीं था। कभी-कभी ऐन मौके पर इमरजेंसी आ जाने से उसे देर रात तक अस्पताल में रुकना पड़ता था। आखिर मनुष्य का शरीर है, कभी कैसी मुसीबत आन पड़ जाए किसे पता। भगवान तो शरीर का गठन करके धरती पर भेज देता है और उसके बाद उसकी रक्षा भी एक