बागी आत्मा 7

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बागी आत्मा 7 सात माधव चार-पांच दिन तक तो योंही इधर-उधर भटकता रहा, खाना जैसा मिला, जिससे मिला छीना और खाया। जीवन का यह पहला अवसर था। जब एक महिला को अपने पति के लिए भोजन ले जा रही थी। उससे छीनकर खाना खाना पड़ा,और करता भी क्या ? अब तो जीवन जीने के लिए यही विकल्प रह गया था। उसे इन दिनों लगने लगा, कि उसे पुलिस के सामने जाकर स्वयं हाजिर होना ही पड़ेगा, क्योंकि इस प्रकार भूख और प्यास के कारण तो वह वैसे ही दम तोड़ देगा। इससे तो उस जेल में ही