30 शेड्स ऑफ बेला - 24

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30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 24 by Shilpi Rastogi शिल्पी रस्तोगी भटक रहा है आधा चांद बेला को लगा था, अब जिंदगी ढर्रे पर आ गई है। ऐसे में दिल्ली से आशा का चिंता भरा फोन। दोपहर को बता चुकी थीं उन्हें कि वह अब पद्मा की चिंता न करें वह बिल्कुल ठीक है। रिया भी बहुत खुश है अपनी पद्मा मौसी के साथ। वाकई बेला को लगने लगा था शायद अब ग्लेशियर पर ढकी बर्फ जैसे पिघलने लगी है। लेकिन वो तो कुछ और ही कह रही थीं—बेला, कैसे कहूं बेटी? वो,