जय हिन्द की सेना - 17 - अंतिम भाग

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जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म सत्रह आज प्रातः से ही ठाकुर रणवीर सिंह की कोठी में काफी चहल पहल थी। कोठी के बाहर लॉन में पण्डाल आदि कल शाम को ही लगा लिए गए थे। किसी के पास बात करने का समय नहीं था, सभी किसी न किसी कार्य में व्यस्त थे। कोई भी कह सकता था कि आज यहाँ कोई समारोह सम्पन्न होने जा रहा है। ठाकुर रणवीर सिंह आमंत्रित मेहमानों की सूची को अंतिम बार देखकर अपने मातहत से पूछ रहे थे कि कोई बुलाने को रह तो नहीं गया। उमा—अटल का विवाह दिन में ही एक