(मुंशी प्रेमचन्दजी हिंदी साहित्य के कलम के सिपाही के रूप में एक विलक्षण लेखक की सशक्त छवि में कालजयी रचनाकारों में हमेशा के लिए स्वर्णाक्षरों में अंकित हो चुके है। उनकी सभी कहानियां उपन्यास स्वयम में विलक्षण कृति हैं। ठेठ देसी भाषा पर उनकी पकड़ मज़बूत थी। उनकी ऐसी ही एक कहानी * ईदगाह * जो आप सभी ने अवश्य पढ़ी होगी। उसी कहानी को मैने अपने ढंग से आगे बढाने का एक सुप्रयास किआ है। उम्मीद करता हूँ आपसभी सम्माननीय पाठकों को अवश्य पसन्द आएगा। ये कृति पूर्णतः मौलिक है। )