किरदार - 9

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अंजुम को माँ की याद आने लगती है। वह चुप चाप अपने बिस्तर पर बैठ जाती है।समीर कमरे में वापस आता है।समीर: नादान है ना हमारी बिंदिया इसीलिए किसी के सामने कुछ भी बोल देती है। तुम गुस्सा न होना उससे, दिल की बहुत अच्छी है।अंजुम: हाँ, मैं जानती हूँ। मैं किसी से भी नाराज नहीं हूँ। आप फिक्र न करें।समीर: ठीक है, तुम अपने कपड़े बदल लो। सुबह से ये भारी-भारी कपड़े पहन कर घूम रही हो, परेशान हो गई होगी।अंजुम: ठीक है।अंजुम अपने सूटकेस में से एक सादा सा सूट निकलती है और समीर से पूछती है, "क्या