सीमा पार के कैदी6 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 6 रात को आठ बजे । अचानक ही इनके रूम का दरवाजा खटखटाया गया। अजय ने दरवाजा खोला। बाहर एक अपरिचित चेहरा मौजूद था। वह व्यक्ति भी अचकचा गया। अजय बोला- ‘‘कहो चचा, किसे चाहते हो।’’ -‘’हे....हे......यहाँ तो जनाब फज़ल ठहरे हैं न। ’’ वह व्यक्ति हकलाया सा बोला। विक्रांत का नाम यहाँ फज़ल ही था। अजय बोला- ’’आईये...आईये...आप शायद फज़ल मियाँ, आप ही की तलाश में है, आप कासिद मियाँ है न ? -’’जी’’ हाँ जनाब।’’ -’’कौन है