अधूरा ख़त बन्ते का इंतजार करती करती सन्तो कोअब नींद आने लगी थी । उसका दिल किया कि चादर ओढ कर सो जाये पर कैसे सो सकती है । अभी तो बन्ते को आना था फिर उन्होंने रोटी खानी थी । उसके बाद बर्तन चौका... ये सब । आज कल तो बारह बजना आम बात हो गयी है । उसने पलट कर घडी देखी । घङी की सुईयाँ अभी तो सिर्फ साढे दस ही बजा रही हैं । बन्ते को आने में बहुत देर है । समय कटने में आ ही रहा । सास और ननद रोटी खा कर