बागी आत्मा 5

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बागी आत्मा 5 पांच समय अपनी गति से चलता है। शेश संसार के सभी कार्य समय के साथ घटते, बढ़ते रहते है। शिशु पौधा समय के साथ पनपता है। यौवन को प्राप्त होता है। उस समय उसकी सुन्दरता दर्शनीय होती है। आशा यौवन की ऊची सीढ़ी पर पहुंच चुकी थी। पूर्णिमां के चांद की चांदनी चारों ओर बिखेरने लगी थी। माधव को उस विशय पर सोचने में आनन्द आता था। आशा की बातों पर ध्यान आते ही वह स्वप्न लोक में खो जाता था। उससे शादी कैसे होगी ? यह चिन्ता उसके मन में समा