विकी जल्दी से रेड्डी होकर अपने घर से निकल जाता है । वह बस किसी भी तरह तान्या को दिमाग में से निकालना चाहता है। तान्या के बारे में सोचते सोचते मानो जैसे वह स्तुति के बारे में तो भूल ही गया था । वह बस थोडी देर में ही सूझी के घर पहुंच ही गया था । जिस तरह सूझी दरवाजे पे तैयार खड़ी थी उससे तो विकी के चहेरे पे शैतानी मुस्कुराहट आ जाती हैं। करीब दो या तीन घंटे बाद विकी जब अपनी घड़ी की ओर देखता है तो उसे पता चलता है कि पार्टी में उसे