सीमा पार के कैदी3 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 3 इसके बाद उनकी यात्रा आरंभ हुई । पहले पैदल ,इसके बाद ऊँटों से। अभय को बड़ा मजा आया ! मीलों दूर तक फैली रेत ही रेत, जो कहीं ऊँची कही भयानक खाइयों का रूप धारण किये थी। ऊँट बड़ी मस्ती से चला जा रहा था। अभय ने अपना ऊंट दौड़ा दिया, हिचकोले खाता हुआ अभय प्रसन्नता में डूबा जा रहा था। वह भारत का अन्तिम शहर था। शाम होते-होते एक्स, वाय व जेड वहाँ पहुँचे। बाजार में विशेष राजस्थानी