गूगल बॉय - 11

  • 5.7k
  • 1.4k

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 11 मशीन आने के कारण अब दुकान का काम बढ़ गया और जल्दी भी होने लगा है। माँ का अधिक समय दुकान पर ही व्यतीत होने लगा है। दुकान की आमदनी बढ़ रही थी तो घर में सुख-सुविधाएँ भी बढ़ने लगीं। दोपहर में भोजन करने के लिये आया तो गूगल ने माँ से कहा - ‘माँ, रक्तदान सेवा का तो तुरन्त फल मिलता है।’ ‘बेटे, रक्तदान पूर्णतया स्वार्थ रहित प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें रक्तदाता को यह भी पता नहीं लगता कि यह किसके काम आयेगा। दूसरी ओर रक्त लेने वाले