कमला को गेट तक विदा करके ज्यों ही सुधा ने पीठ मोड़ी, रमा के खिलखिलाने की आवाज उसके कानों मे पड़ी थी।रमा की हंसी की आवाज सुनकर उसके कदम किचिन की तरफ बढ़ गए। किचन मेंं शिखा सब्जी काट रही थी।रमा उसके पास बैठी थी।वह उसकी किसी बात पर हंंस रही थींं।"रमा--रमा ने पीछे मुडकर देखा तो सहम गई।सुधा का चेहरा गुस्से में तमतमाये तवे सा सुर्ख लाल हो रहा था।माँ के इस रूप को देखकर उसकी हंसी गायब हो गई।उसके गले से मरी सी आवाज निकली,"जी मम्मी।""अपने कमरे में जाओ,"सुधा आदेशात्मक स्वर में बोली,"शिखा के पास मत बैठा करो।"सुधा