वो कमरा

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आज इतने सालों बाद किस्मत फिर ले जा रही है, मुझे वहां।जहां कभी,वो भी थी, वह जो मेरी स्मृतियों से कभी विलग तो नहीं हुई, पर कहीं गहरे दब चुकी थी। लेकिन समय ने आज फिर उसकी स्मृतियों को गहरे गड्ढे से उबार दिया था।किस्मत का क्या है, हो सकता है किस्मत इस जगह पर फिर से मुझे उन पुरानी स्मृतियों के धागों से नई यादें बुनने ले आई हो।पर उन सुनहरी अमिट स्मृतियों पर क्या नई स्मृतियों की परत कभी चढ़ सकती है।तभी 8 साल के मेरे बेटे आशु ने कहा - "पापा यह कितनी सुंदर जगह है ऊंचे