मन्नतों का घर मंदिर तक ऊपर अब तो गाड़ी आज आने लगी है। एकदम मंदिर के सामने तो नहीं लेकिन नीचे के मोड़ तक। पहले तो बड़ी सड़क के पास मैदान में ही गाड़ी खड़ी करके मंदिर तक पैदल आना पड़ता था। पर यह तो बरसों पुरानी बात हो गई है, अब तो बड़ी सड़क से एक पतली घुमावदार सड़क मंदिर तक बन गई है। निचले मोड़ पर सड़क के साथ ही एक सपाट सी जगह है वहां गाड़ियां खड़ी हो जाती है आजकल। इस मोड़ के बाद फिर कहीं इतना सपाट स्थान नहीं था जहां गाड़ियां खड़ी हो सकती