इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (15) वसई का यह घर बीच बाज़ार में था। खासी चहल पहल रहती थी रात के ग्यारह बजे तक। ज़रूरत की सभी चीज़ें आसपास मिल जाती थीं। एक क्लिनिक भी था...यानी अम्मां को इंजेक्शन लगवाने में कोई परेशानी नहीं थी। सामने पार्वती थियेटर था। शाम को पानी पूरी, सेव पूरी, भेल आदि के ठेले और साथ ही कुल्फी के ठेले खड़े रहते थे। उसे बड़ी तसल्ली हुई उसकी और अम्मां की मनपसंद खाने की वस्तुएं वहां उपलब्ध थीं। जब मन होगा वह खुद भी खा सकेगी और अम्मां को भी खिला सकेगी। दूसरे दिन