छोटी मछली

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छोटी मछली होटल से निकल कर मनेन्द्र ने दूर तक जाती सड़क का जायजा लिया । सड़क के एक ओर दुकानों की लंबी कतार थी। दुकानों के ऊपर ऊँचाइयों तक चमकते - दमकते होटल बने हुए थे। सड़क के दूसरी ओर सिर्फ झिलमिलाता ताल था। चौड़ी सड़क को डिवाइडर से विभाजित किया गया था । शाम होते ही निश्चित समय के लिए वाहनों की आवाजाही बन्द हो जाती थी, तब हर वर्ग और हर उम्र के लोग मदमाती चाल से टहलने के लिए निकल पड़ते थे। ये मन की उमंगें पूरी करने का शहर था। शरीर से थुलथुल और