पूनम शिक्षा की एक उमंग

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ये कहानी 1990 के दशक की हमारे गाँव की होनहार लड़की पूनम की है जो पढ़ने में बहुत होशियार थीगाँव मे एक सरकारी स्कूल था वो भी 5th क्लास तक लेकिन पूनम को पढ़ाई की बहुत लग्न थी और उसके 5th क्लास के नंबर्स को देख कर स्कूल के शिक्षक ने उसे आगे पढ़ाने के लिए अपने जानकर अध्यापक से मदद मांगीएक दिन अध्यापक राजेश जी और पास के गांव की स्कूल का अध्यापक सुभाष जी पूनम के पिताजी से मिले और कहा कि पूनम एक होनहार लड़की है और आगे पढ़ेगी तो कुछ बन जाएगीतो पूनम के पिताजी ने