आखा तीज का ब्याह (13) तिलक होटल के कमरे में कुर्सी पर बैठा सिगरेट के धूंए के छल्लों के साथ अपने मन का गुबार निकाल रहा था, उसकी आँखें लाल सुर्ख हो रही थी| आज बहुत दिनों बाद उसने शराब पी और बेहिसाब पी| मानों उस रंगीन पानी की बोतल में ही उसकी हर समस्या का हल था| उसका मोबाईल बार बार बज रहा था और वह बार बार फोन काट देता, पर फोन बजाना बंद नहीं हुआ तो आखिर उसने खीज कर फोन उठा ही लिया| “हेलो”, नशे में तिलक की आवाज़ बहुत भारी हो गई थी “पापा”, फोन