जिंदगी मेरे घर आना भाग – १२ उदास चेहरा लिए वह घर भर में घूमती रहती है... पर किसी को कोई गुमान ही नहीं। सब समझते हैं एग्जाम की टेंशन है. सिक्के का दूसरा पहलू देखने का कष्ट किसी को गवारा नहीं। चुपचाप बिस्तर पर पड़ी रहती है, तकिया, आँसुओं से गीला होता रहता है। इतना असहाय तो कभी महसूस नहीं किया, जीवन में। घर की नए सिरे से साज-संभाल होती देख खीझ कर रह जाती है और कोसती रहती है, खुद को... हाँ! ठीक कहती है, स्वस्ति, बिल्कुल ठीक कहती है, बहुत बदल गई है, वह। अभी पहले वाली