समीक्षा- मकतल: प्रकाशकान्त साजिशन सजा की दर्दगाथा अपनी सोच साफगोई और सकारात्मक दृष्टि के लिए मशहूर कथाकार प्रकाश कान्त का उपन्यास ‘ मकतल’ मेधा बुक्स ने प्रकाशित किया है। अपनी कथा को लगभग एक सौ पैंतीस पृष्ठ मे समेटे यह उपन्यास इस महादेश गांवों-कस्बों में जीने वाले लाखों उन अल्पसंख्यकों की दास्तान है, जो देशभक्ति के प्रदर्शन के लिए मजबूर बना दिये गये है, अर्थात केवल अल्पसंख्यक मजहब में जन्म लेने की वजह से उन्हे पांकिस्तान परस्त होने का दंश झेलना पड़ता हैं। देश में सर्वधर्म समभाव का अश्वासन देने वाले हमारे संविधान की व्यवस्था की सबल कर्मक