स्त्री

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एक स्त्री में बहुत शक्ती होती है,कभी कभी बिना गलती के भी रोती है,समाज के तानो से डरती है,फिर भी पीछे ना हटती है,एक स्त्री में बहुत शक्ती होती है,अपने आप में ही संसार होती है,तुम्हारे जीवन को संवारती है,तुममें ही अपने आप को तलाशती है,एक स्त्री में बहुत शक्ती होती है,तुम्हे क्या पता तुम्हे पाने के लिये क्या क्या खोती है,तुम्हारी एक हंसी के लिये ,जरा सी मुस्कुराहट के लिये ,अपना मजाक बना देती है,तुम्हे खुश देखने के लिये,तुमसे प्यार पाने के लिये,ना जाने उसने कितने दुख सह लिये,उसे कहां फर्क पड़ता है जमने से,भुल जाती है