गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 8 सुबह-सुबह गूगल माँ के साथ उठ बैठा। माँ की आदत थी सुबह साढ़े चार बजे से पाँच के बीच उठने की। घर के आवश्यक काम करती। प्रतिदिन स्नान करना, पूजा-पाठ करना, फिर नाश्ता तैयार करना, भगवान को भोग लगाना और सबको प्रसाद खिलाना। गूगल को बिस्तर पर बैठा देखा तो माँ ने टोक लिया - ‘गूगल, रात को तो तुम कहानी सुनते-सुनते ही सो गये थे।’ ‘हाँ माँ, तुम्हारे वीर बालक बादल की कहानी थी ही इतनी मज़ेदार की सुनते-सुनते ही नींद आ गयी। परन्तु मुझे वहाँ तक तो