माँ अंजुम को गले लगाकर रो रही है, अंजुम भी रो रही है पर अब उसने माँ से कुछ न कहा। अंजुम के पिता की आँखें भी नम हैं। माँ: बेटी अपना ध्यान रखना। कुछ भी हो मुझे बताना। समय की फिक्र मत करना, तुम कभी भी फ़ोन कर लेना। अंजुम अब कुछ न बोली। माँ को अंजुम की ये चुप्पी डरा रही थी परन्तु माँ मजबूर थी।अंजुम विदा होकर चली जाती है।धीरे-धीरे सारे रिश्तदार भी जाने लगते हैं। शाम तक सभी चले गए। जिस घर में एक दिन पहले चहल-पहल थी, अब वहाँ शान्ति छा गई। माँ: अंजुम के बिना घर सूना लग