महाकवि भवभूति - 13

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महाकवि भवभूति 13 भवभूति का कन्नौज प्रस्थान श्रेष्ठः परमहंसानां महर्षीणां यथाडि.गराः। यथाथर््ानामा भगवान् यस्य ज्ञाननिधिर्गुरुः।। यह प्रसिद्ध श्लोक ध्यान में आते ही महाराज यशोवर्मा सोचने लगे- महाकवि भवभूति गुरुदेव ज्ञाननिधि के शिष्य हैं। आज यह विद्याविहार उन्हीं के कारण सम्पूर्ण देश में शिक्षा का केन्द्र बना हुआ है। विद्याविहार के मंच पर कालप्रियनाथ के यात्रा उत्सव में महावीरचरितम् के मंचन से सिद्ध है कि यहाँ नागवंश के समय से ही यह परम्परा रही है। जिस दिन से यात्रोत्सव शुरू हुआ होगा, यह मंच भी उसी समय निर्मित किया गया होगा। इसका अर्थ है यह मंच इसी मंदिर का समकालीन