मेरे घर आना ज़िंदगी - 20

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मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (20) इन दिनों कविता के प्रति रुझान तेजी से हो रहा था। कहानी दिमाग में आती ही नहीं थी। सुबह घूमने जाती तो कोई न कोई कविता दिमाग में पकती रहती। सुबह से शाम, रात कई कई दिन वह कविता खुद को लिखवा लेने की जिद करती। एक