महाकवि भवभूति - 12

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महाकवि भवभूति 12 दर्शकदीर्धा से महावीरचरितम् पद्मावती नगरी में नाट्यमंच की सजावट देखते ही बनती थी। मृण्मूर्तियें से उसकी सजावट युग-युगों की कहानी कह रही थी। पत्थर पर उकेरी गईं प्रतिमायें अपनी अलग ही कहानी प्रदर्शित कर रही थीं। नाग राजाओं के इष्ट देवों की मृण्मूर्तियों से इसे सजाया गया था। भगवान विष्णु की मृण्मूर्ति अपनी अलग ही कथा कहती प्रतीत हो रही थी। शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय तथा मणिभद्र की मूर्तियाँ इतिहास का अपना अलग ही मंतव्य दे रही थीं। आगन्तुक अपने-अपने स्थान पर उपस्थित हो गये। नगर के राजा वसुभूति भी मंच पर विराजमान हो