अचानक गुड्डू को याद आया कि उसके स्कूल में भी तो लोककला पेंटिंग होने वाली है, वो भी नेशनल लेबल की!! यदि बाउजी कोलाज़ जानते हैं, तो और भी बहुत कुछ जानते होंगे. गुड्डू तुरन्त वापस लौटा. बाउजी को बताया. बाउजी तो बाखुशी तैयार हो गये. कब से तो कोई काम जैसा काम खोज रहे थे वे. अब हाथ आया है तो छोडेंगे नहीं. गुड्डू भी मारे खुशी के दौड़ता हुआ सरोज के पास गया खबर सुनाने. “जानती हो मम्मा, बाउजी कोलाज़ जानते हैं और फ़ोक पेन्टिंग भी. वे मेरी एग्जीबिशन के लिये पेंटिंग बनायेंगे...हुर्रे.....!” “अरे! बाउजी कैसे बनायेंगे? उन्हें