न्याय - एक अछूत लड़की की कथा(भाग 1)

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" अरी उठना नही है क्या?कब तक खाट मे पड़ी रहेगी।चाय बन गई।अब तो उठ जा"।छमिया के बार बार आवाज देने पर कमली उठी तो थी,लेकिन माँ के पास न आकर सीधी नाली की तरफ भागी थी।नाली पर बैठकर कमली उबकाई लेेंने लगी।उसे देखकर छमिया ने पूूछा था," क्या हुआ री?"माँ की बात का कमली ने कोई जवाब नही दिया।वह नाली पर बैठी उबकाई लेती रही।बेटी को उबकाई लेते देखकर छमिया को अचानक ध्यान आया।बेेटी एक तारीख को महिनेे से हो जाती थी।लेकिन एज तारीख तो कब की गुज़र गई।।दूसरी एक तारीख आने वाली थी।लेकिन कमली महीने से नहीं हुई