उजाला ही उजाला

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उजाला ही उजाला पवित्रा अग्रवाल जैसे ही मैं अस्पताल के पास पहुंचा मि. सरीन मुझे अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही मिल गए. उनके चहरे पर संतोष के भाव उभर आये थे. वह बोले –‘बेटा डाक्टर ने जितने टैस्ट कराये थे, सब की रिपोर्ट आगई है. शायद तुम्हें पता भी हो कि अब तुम्हारा गुर्दा मेरे बेटे को लगाया जा सकता है. हो सकता है तीन – चार दिन में ही ऑपरेशन भी हो जाये. डॉक्टर साहब अभी थोड़ी देर में आते ही होंगे. आप जाकर अन्दर बैठो. वह आज ओप्रेशनकी तारीख बताएँगे. ’ जितनी जल्दी मि. सरीन को है