आखा तीज का ब्याह - 10

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आखा तीज का ब्याह (10) श्वेता का अंदाज़ा गलत नहीं था तिलक सच में बहुत परेशान था| उसने अवसादग्रस्त होकर खुदको पूरी तरह शराब में डूबा दिया था| कोई काम नहीं होता था उसके पास बस पूरा दिन वह और उसकी बोतल| तिलक की इस मानसिक प्रताड़ना के उस दौर में वह खुद अपने साथ जाने क्या कर बैठता अगर श्वेता ना होती| उसने अपनी ज़िन्दगी मरुस्थल की तरह बना ली थी बिल्कुल उजाड़, पर एक दिन कहीं से सावन की बदली सी श्वेता आ गयी| श्वेता थी तो वासंती की दोस्त पर दोस्ती मगर वक्त ने उसे तिलक की