अनुष्ठान की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी। सारे रिश्तेदारों नातेदारों को निमंत्रण दिया गया था। सभी की प्रतीक्षा हो रही थी। सभी की आवश्यकता के हिसाब से व्यवस्था की जा रही थी। केशव के घर रिश्तेदार और घर वाले आ गए। मां तो सबसे पहले आ गई थी सब संभालने। उन्होंने बच्चे को और अनुष्ठान की सारी तैयारी संभाल ली। आखिर बेटा कोई धार्मिक काम करे तो माता पिता को तो खुशी होती ही है।