में जो अब लिखने जा रही हुं वो कोई काल्पनीक Story नहीं है । वो एक बास्तबिक घटणा है । जिसे में जब भी याद करती हुं तो मेरी अन्दर एक अजीब सी सबाल पैदा होती है । पता नहीं क्युं ? पर नाजाने लोग यैसा रिस्ता क्युं बनाते हैं ? चलिये अब काहानी की ओर बढते हैं । पर फिरसे एक बात बोलना चाहती हुं की में किसी रिस्ते के खीलाफ नहीं हुं, नाही कोई रिस्ते को में गलत ठेहरा रही हुं । में सिफ् ये बोलना चाहती हुं की रिस्ता कोई भी हो