जिंदगी मेरे घर आना भाग – ८ ‘अंकल... शरद ने शायद कुछ प्रतिवाद में कहा था पर यहां सुनने की फुर्सत किसे थी। वह तो उछलती, कूदती दूर निकल आई थी। पर डैडी ने छूट दे दी तो क्या... शरद तो उसकी पहरेदारी को मौजूद था। मम्मी ने एक बार कह क्या दिया कि ‘तुम झरने के पास मत जाना, एक मिनट स्थिर नहीं रहती हो, कहीं पैर रपट गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे।‘ - बस बात गाँठ बाँध ली। खुद तो आराम से भैया के साथ पानी में पैर डाले बैठा था... वह आ ही रही थी